लाओस में पीएम मोदी का भव्य स्वागत

पीएम मोदी का भव्य स्वागत, स्कॉलरशिप से लेकर ऐतिहासिक संबंधों तक हुई चर्चा

आईबीएन, डिजिटल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को लाओस की राजधानी विएंतियाने पहुंचे, जहां उन्होंने 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस महत्वपूर्ण दौरे का उद्देश्य भारत और आसियान देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना था। पीएम मोदी का वहां गर्मजोशी से स्वागत किया गया और लाओस सरकार ने उनके सम्मान में कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “दुनिया के कई हिस्से आज संघर्ष और तनाव का सामना कर रहे हैं, ऐसे में भारत-आसियान की दोस्ती और सहयोग अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और आसियान देशों की साझेदारी सिर्फ व्यापार और निवेश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सभ्यता, संस्कृति और विरासत के स्तर पर भी बेहद गहरी है।

21वें आसियान भारत शिखर सम्मेलन

आसियान देशों के साथ ऐतिहासिक संबंध

प्रधानमंत्री मोदी ने 21वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए बताया कि उन्होंने 10 साल पहले ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ की शुरुआत की थी। यह नीति भारत और आसियान देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को नई दिशा देने में बेहद सफल रही है। उन्होंने बताया कि इस पहल के तहत भारत और आसियान देशों के बीच व्यापार, शिक्षा, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। पिछले एक दशक में भारत ने इन देशों के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम दिया है।

लाओस में सांस्कृतिक विरासत देखते पीएम मोदी

आसियान छात्रों को स्कॉलरशिप का लाभ

पीएम मोदी ने बताया कि उनकी सरकार का जन-केंद्रित दृष्टिकोण ही भारत की डेवेलपमेंट पार्टनरशिप का आधार है। उन्होंने इस बात पर गर्व जताया कि नालंदा विश्वविद्यालय में 300 से अधिक आसियान देशों के छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान की गई है। इसके साथ ही भारत ने आसियान देशों के साथ मिलकर ‘नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटीज’ भी लॉन्च किया है, जो शिक्षा और शोध के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देगा। इसके अतिरिक्त, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, म्यांमार और इंडोनेशिया में साझी विरासत और संरक्षण के लिए भी कई परियोजनाओं पर काम किया गया है।

भारत और लाओस के बीच ऐतिहासिक संबंध

पीएम मोदी ने लाओस पहुंचने के बाद वहां भारतीय प्रवासियों से भी मुलाकात की। लाओस के गृह मंत्री विलायवोंग बौडाखम, शिक्षा और खेल मंत्री, बैंक ऑफ लाओस के गवर्नर, और विएंतियाने के मेयर समेत कई महत्वपूर्ण नेताओं ने पीएम मोदी का स्वागत किया। भारत और लाओस के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की गहराई को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत और लाओस के बीच संबंध सिर्फ कूटनीतिक नहीं हैं, बल्कि ये हमारे साझा सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों में भी झलकते हैं।”

बौद्ध भिक्षुओं के साथ पीएम मोदी

लाओस और भारत के बीच 1956 में कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए थे, और तभी से दोनों देशों के बीच मित्रतापूर्ण संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। बौद्ध धर्म और रामायण की साझा विरासत इन संबंधों की बुनियाद हैं, जो सभ्यतागत आदान-प्रदान के जरिए और सुदृढ़ हुए हैं।

पीएम मोदी का भव्य स्वागत और गार्ड ऑफ ऑनर

लाओस में प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत भव्य और गरिमामय तरीके से किया गया। जैसे ही वह विएंतियाने पहुंचे, लाओस के गृह मंत्री ने उनका औपचारिक स्वागत किया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस स्वागत के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह न केवल दोनों देशों के बीच के गहरे संबंधों को दर्शाता है, बल्कि सभ्यताओं के आपसी जुड़ाव का भी प्रतीक है।

गायत्री मंत्र और बिहू नृत्य से स्वागत

लाओस में पारंपरिक नृत्य से हुआ पीएम का स्वागत

लाओस में भारतीय समुदाय और लाओस के नागरिकों ने भी प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत गायत्री मंत्र के पाठ के साथ किया। यह स्वागत एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव था, जो भारत और लाओस की साझा सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। इसके अलावा, भारतीय समुदाय ने बिहू नृत्य के साथ प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया, जो असम की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।

इस स्वागत समारोह के बाद पीएम मोदी ने एक आशीर्वाद समारोह में भी हिस्सा लिया, जिसमें वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। इस आयोजन से यह स्पष्ट हुआ कि भारत और लाओस के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव कितना मजबूत है।