आईबीएन, नेशनल डेस्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन समारोह में महत्वपूर्ण बयान दिए। उन्होंने कहा कि दुनिया में शांति की बातें होती हैं, लेकिन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। साथ ही, भारत को अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर सलाह दी जाती है, मगर अब यह देखना जरूरी है कि अन्य देशों में अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति कैसी है।
अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर विचार
संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि भारत को अक्सर अपने अल्पसंख्यकों के मुद्दों का समाधान करने की सलाह दी जाती है। लेकिन अब हमें दुनिया के अन्य देशों में अल्पसंख्यक समुदायों की स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह संकेत दिया कि अल्पसंख्यकों को न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के कई देशों में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मानव धर्म और पर्यावरण की चिंता
आरएसएस प्रमुख ने मानव धर्म को सभी धर्मों का मूल बताया। उन्होंने कहा कि यह ‘विश्व धर्म’ है, जिसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है। हालांकि, दुनिया ने इस धर्म को भुला दिया है, जिसके कारण पर्यावरण और अन्य समस्याएं बढ़ रही हैं। उनका कहना था कि इस धर्म के मूल सिद्धांतों में शांति और समग्र विकास का मार्ग छिपा है।
भारत की भूमिका पर जोर
भागवत ने कहा कि भारत के पारंपरिक ज्ञान और अनुभव को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि वह विश्व शांति में अपनी भूमिका निभाए। उन्होंने कहा, “बहुत से लोग मानते हैं कि भारत के बिना दुनिया में शांति संभव नहीं है।” भारत का यह जिम्मा है कि वह दुनिया को शांति की दिशा में मार्गदर्शन करे।
बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी
हालांकि, भागवत ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा का सीधे जिक्र नहीं किया, लेकिन हाल के दिनों में आरएसएस ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है। बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं ने बयान दिए हैं।
शांति और एकता का संदेश
भागवत ने अपने संबोधन में दुनिया को शांति का संदेश देते हुए कहा कि जब तक भारत अपनी पारंपरिक और सांस्कृतिक ताकतों को पुनः जागृत नहीं करता, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है।
आरएसएस प्रमुख ने न केवल भारत की वैश्विक भूमिका पर जोर दिया, बल्कि मानव धर्म के महत्व और पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान की बात भी की। उनका संदेश भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को पुनर्स्थापित करने की दिशा में था।
