महाकुंभ में सुरक्षा व्यवस्था

चंद्रकेतु मिश्रा,  प्रयागराज। महाकुंभ 2025 को लेकर उप्र की योगी सरकार द्वारा की जारी सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियां अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गई है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी), और एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) समेत कई एजेंसयां सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। आरपीएफ ने रेलवे ट्रैक और स्टेशनों की निगरानी के लिए 500 जवानों को तैनात किया है। ये जवान 24 घंटे शिफ्ट में तैनात रहेंगे और हाईटेक उपकरणों से लैस होंगे।

ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से निगरानी

आरपीएफ के जवानों को ड्रोन कैमरों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस 1000 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की सहायता मिल रही है। इन कैमरों में संदिग्ध गतिविधियों, अपराधियों और आतंकियों की पहचान करने की क्षमता है। रेलवे ने भीड़ नियंत्रण और भगदड़ से निपटने के लिए आंतरिक और बाहरी सुरक्षा योजनाएं तैयार की हैं।

महाकुंभ में आतंकवाद निरोधक तैयारियां

महाकुंभ के दौरान आतंकी खतरों को ध्यान में रखते हुए देशभर के 30 स्पॉटर्स को तैनात किया गया है। इनमें से 18 ने मेला क्षेत्र में सक्रिय होकर संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी है। ये स्पॉटर्स जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और नॉर्थ-ईस्ट राज्यों से बुलाए गए हैं।

मेला एसपी सुरक्षा असीम चौधरी ने बताया कि स्पॉटर्स राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों को पहचानने और पुलिस को सूचित करने में विशेषज्ञ होते हैं।

एनएसजी और एटीएस की मॉकड्रिल

हनुमान मंदिर परिसर में शनिवार रात एक मॉकड्रिल आयोजित की गई। यह प्रयागराज मेले में पहली काउंटर टेररिज्म एक्सरसाइज थी। इसमें आतंकी हमले की स्थिति से निपटने का अभ्यास किया गया।

मॉकड्रिल के तहत सूचना दी गई कि मंदिर में चार आतंकियों ने घुसकर महंत को बंधक बना लिया है। एनएसजी और एटीएस की संयुक्त टीम ने 27 मिनट में ऑपरेशन पूरा किया, जिसमें तीन आतंकियों को मार गिराया गया और एक को गिरफ्तार कर लिया।

एसएसपी कुंभ राजेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि मॉकड्रिल का उद्देश्य सुरक्षा तैयारियों की जांच करना और जवानों को सतर्क रखना था।

संक्षेप में

  1. आरपीएफ तैनाती: 500 जवान, ड्रोन और 1000 सीसीटीवी।
  2. स्पॉटर्स: 30 विशेषज्ञ तैनात, संदिग्ध गतिविधियों पर नजर।
  3. एनएसजी कमांडो: मॉकड्रिल के जरिए आतंकी खतरों से निपटने का अभ्यास।
  4. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: अपराधियों और आतंकियों की पहचान।