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नई दिल्ली
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में बताया है कि महाकुंभ के दौरान गंगा औ यमुना नदी का पानी नहाने के लिए तय मानकों पर खरा उतरा है। ये रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को पेश की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा वेरिएबिलिटी के कारण स्टेटिस्टिकल एनालिसिस की दरकार थी। रिपोर्ट में कहा कि स्टेटिस्कल एनालिसिस की जरूरत इसलिए थी क्योंकि अलग-अलग तारीखों में सैंपल जमा किए गए थे और ये सभी सैंपल विभिन्न जगहों से लिए गए थे।

सही आकलन में क्या थी दिक्कतें?
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कहा कि अलग अलग सैंपल की वजह से पूरी नदी के पानी के सही आकलन करना बेहद मुश्किल था। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कहा है कि उसने महाकुंभ की शुरूआत के बाद से हर सप्ताह दो बार नदी के पानी की जांच और निगरानी की है। रिपोर्ट में कहा गया कि 12 जनवरी से लेकर 28 फरवरी तक गंगा नदी की 5 जगहों और यमुना नदी की दो जगहों पर पानी की निगरानी की गई और इसके लिए विशेषज्ञों की एक कमिटी तैनात थी।
 
CPCB ने पिछले महीने गंगा की पानी का बताया था गंदा
17 फरवरी को CPCB ने एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की पैनल को बताया था कि महाकुंभ के दौरान कई स्थानों पर नहाने के लिए जल गुणवत्ता प्राथमिक मानकों पूरा नहीं करती है। बोर्ड ने 17 फरवरी की रिपोर्ट में बताया था कि गंगा-यमुना की पानी में उच्च मात्रा में फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया (Fecal Bacteria)मिला है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में बताया गया था कि पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 यूनिट से बहुत ज्यादा मिली है।

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