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गणेश पाण्डेय, भोपाल। मध्यप्रदेश के खूबसूरत हिल स्टेशन पचमढ़ी में प्रस्तावित इको-सेंसिटिव जोन (Eco Sensitive Zone – ESZ) की स्थापना को लेकर विरोध तेज हो गया है।
स्थानीय नागरिकों, व्यापारियों और होटल संचालकों ने इस कदम के खिलाफ रैली निकाली और 10 घंटे का बंद रखा। लोगों का कहना है कि सरकार का यह निर्णय उनके व्यवसाय, रोजगार और जीवनशैली पर सीधा असर डालेगा।

विरोध की मुख्य वजहें

🔹 प्रतिबंधों का डर

ESZ के मसौदे के अनुसार, पचमढ़ी के आसपास 2 किलोमीटर के दायरे में कई प्रकार की व्यावसायिक और बुनियादी ढांचा निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लग सकता है।
इससे होटल निर्माण, दुकानों का विस्तार, पर्यटक सुविधाओं का विकास और नए व्यवसायों की अनुमति पर रोक लग सकती है।

🔹 आर्थिक असर की आशंका

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि पचमढ़ी की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है। यदि ESZ के चलते व्यावसायिक गतिविधियाँ सीमित हो गईं, तो पर्यटन प्रभावित होगा और हजारों लोगों की आजीविका पर संकट आ जाएगा।

🔹 स्थानीय ज़रूरतों की अनदेखी

निवासियों का आरोप है कि इको-सेंसिटिव जोन का प्रस्ताव बिना स्थानीय लोगों से सलाह लिए तैयार किया गया है। उनका कहना है कि जिन लोगों का जीवन और आजीविका इस क्षेत्र से जुड़ी है, उनकी राय को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी।

विरोध में 10 घंटे पूरी तरह बंद रहा पचमढ़ी

पचमढ़ी के नागरिकों ने विरोध स्वरूप शांतिपूर्ण रैली निकाली और हिल स्टेशन को 10 घंटे के लिए पूरी तरह बंद रखा। इस दौरान दुकानें, होटल, टैक्सी सेवाएँ और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे। लोगों ने बैनर और पोस्टर लेकर अपनी नाराज़गी जाहिर की और प्रशासन से इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की।

सरकार का उद्देश्य

सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि इको-सेंसिटिव जोन की स्थापना पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता की सुरक्षा के लिए की जा रही है।
पचमढ़ी को “सतपुड़ा की रानी” कहा जाता है और यह क्षेत्र घने जंगलों, वन्यजीवों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। प्रशासन का मानना है कि इस क्षेत्र में अनियंत्रित निर्माण गतिविधियाँ पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकती हैं, इसलिए ESZ जरूरी है।

तनाव का माहौल और आगे की राह

विरोध के कारण स्थानीय निवासियों और प्रशासन के बीच तनाव का माहौल बन गया है।
हालांकि, जिला प्रशासन का कहना है कि लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए संवाद जारी रहेगा और किसी भी निर्णय को सभी हितधारकों से चर्चा के बाद ही अंतिम रूप दिया जाएगा।

स्थानीय लोग चाहते हैं कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय आजीविका और पर्यटन उद्योग के हितों का भी संतुलन बनाए।

क्या है इको-सेंसिटिव जोन (ESZ)?

इको-सेंसिटिव जोन ऐसे क्षेत्र होते हैं, जो राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास बनाए जाते हैं ताकि पर्यावरणीय संतुलन और जैव विविधता की रक्षा की जा सके।
इन क्षेत्रों में निर्माण, खनन, औद्योगिक गतिविधियाँ और कुछ व्यावसायिक कार्य सीमित या प्रतिबंधित रहते हैं।