आईबीएन, भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 सितंबर 2023 को शुरू की गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना ने कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। इस योजना के तहत पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को हर प्रकार की सहायता प्रदान की जाएगी। इसमें 18 विभिन्न पारंपरिक व्यवसायों जैसे बढ़ई, नाव-निर्माता, लोहार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, राज-मिस्त्री, टोकरी और गुड़िया निर्माता, आदि को शामिल किया गया है।
पंजीकरण का आंकड़ा: 29 लाख से अधिक कारीगर जुड़े
मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा पोर्टल के माध्यम से 1 सितंबर 2024 तक कुल 29 लाख 40 हजार 426 से अधिक कारीगरों ने पंजीकरण कराया है। कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग इन पंजीकृत कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान करेगा और उनके उत्पादों को बेचने के लिए सेल प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराएगा।
प्रशिक्षण और प्रोत्साहन: कारीगरों को मिलेगी नई दिशा
आयुक्त, हाथकरघा एवं हस्तशिल्प ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग ट्रेनिंग पार्टनर के रूप में कार्य करेगा। पीएम विश्वकर्मा प्रमाण-पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से कारीगरों और शिल्पकारों का पात्रता पंजीयन किया जाएगा। चयनित कारीगरों को बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिसमें 500 रुपये प्रतिदिन की शिष्यवृत्ति और ई-वाउचर के रूप में 15 हजार रुपये तक का टूलकिट प्रोत्साहन शामिल है। इसके अलावा, व्यवसाय स्थापित करने के लिए बैंक लिंकेज, स्व-रोजगार लोन लिंकेज, डिजिटल लेन-देन प्रोत्साहन, और विपणन सहायता भी दी जाएगी।
प्रशिक्षण की स्थिति: 12 लाख से अधिक कारीगर हुए पात्र
अब तक 12 लाख 76 हजार 646 कारीगरों के आवेदन प्रशिक्षण के लिए मान्य कर लिए गए हैं। प्रदेश के 37 जिलों में 39 ट्रेनिंग प्रोवाईडर्स के माध्यम से 128 प्रशिक्षण केंद्रों पर कारीगरों को बुनियादी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं, 38 जिलों में 107 ट्रेनिंग प्रोवाईडर्स के माध्यम से 80 बैचों में कारीगरों को बेसिक ट्रेनिंग दी जा रही है। अब तक 31 हजार 612 कारीगरों को प्री-बेसिक ट्रेनिंग दी जा चुकी है और वर्तमान में 2 हजार 941 कारीगरों की ट्रेनिंग जारी है।
यह योजना पारंपरिक कारीगरों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है, जिससे उनकी क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।