वन्यजीव प्रबंधन में तेजी लाने की तैयारी, हेलिकॉप्टर से लगेगा हांका, ट्रांसलोकेशन सड़क मार्ग से
गणेश पाण्डेय, भोपाल। मध्य प्रदेश के वन विभाग को राबिन्सन हेलिकॉप्टर किराए पर लेने की राज्य सरकार से अनुमति मिल गई है। इस फैसले से वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के एक अहम चरण को बल मिलेगा। विभाग अब आगर मालवा के जंगलों से 400 काले हिरण और 100 नीलगाय को ट्रांसलोकेट कर चीतों के पहले रहवास स्थल ‘पालपुर कूनो’ भेजेगा।
इस कार्य के लिए राबिन्सन हेलिकॉप्टर का उपयोग किया जाएगा, जो हांका प्रक्रिया (जानवरों को एक दिशा में भगाकर पकड़ने की प्रणाली) में मदद करेगा। हालांकि, जानवरों को कूनो ले जाने का कार्य सड़क मार्ग से ही किया जाएगा।
हेलिकॉप्टर का किराया 2.84 लाख रुपये प्रति घंटा
राज्य विमानन विभाग ने इस कार्य के लिए टेंडर जारी किए थे, जिसमें नई दिल्ली की निजी एयरलाइन कंपनी मेसर्स जेट सर्व एयरलाइन प्राइवेट लिमिटेड का चयन किया गया। यह कंपनी राबिन्सन हेलिकॉप्टर को वन विभाग को 2 लाख 84 हजार रुपये प्रति घंटे की दर से उपलब्ध कराएगी। वन विभाग ने प्रारंभिक योजना में हेलिकॉप्टर के 50 घंटे के उपयोग का अनुमान लगाया है, जिसका किराया विभाग स्वयं वहन करेगा।
ट्रांसलोकेशन का समय सीमित: केवल मई-जून में कार्य
विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया मई और जून के महीनों में ही पूरी करनी होगी, क्योंकि वर्षा ऋतु में जंगलों में ट्रांसलोकेशन संभव नहीं होता। इस अवधि में वन्यजीवों की गतिविधियों में तेजी होती है और पर्यावरणीय स्थितियां भी अपेक्षाकृत अनुकूल रहती हैं।
राबिन्सन हेलिकॉप्टर: वैश्विक स्तर पर वन्यजीव प्रबंधन में उपयोगी
राबिन्सन हेलिकॉप्टर का निर्माण अमेरिका की प्रसिद्ध राबिन्सन कंपनी करती है और इसमें अत्याधुनिक रोल्स रॉयस टर्बाइन इंजन का उपयोग होता है। यह हेलिकॉप्टर विश्व स्तर पर वन्यजीव प्रबंधन, हांका संचालन और सामूहिक पकड़ कार्यों में उपयोग किया जाता है। इस तकनीक से न केवल पशुओं की चोट से सुरक्षा होती है, बल्कि ट्रांसलोकेशन अधिक कुशल और तेज़ होता है।
चीतों के लिए तैयार हो रहा कूनो
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के लिए बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने के उद्देश्य से ही यह ट्रांसलोकेशन किया जा रहा है। चीतों को पर्याप्त शिकार उपलब्ध कराने के लिए नीलगायों और काले हिरणों की संख्या बढ़ाना आवश्यक माना गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रयास से कूनो में चीतों के दीर्घकालिक अस्तित्व की संभावनाएं और मज़बूत होंगी।
मध्य प्रदेश का यह कदम वन्यजीव संरक्षण की दिशा में तकनीकी संसाधनों के इस्तेमाल का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है। हेलिकॉप्टर से हांका लगाकर जानवरों को पकड़ने और उन्हें नई जगह भेजने की यह प्रक्रिया न केवल त्वरित है, बल्कि जानवरों के लिए भी कम कष्टकारी साबित होती है।