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सवा करोड़ की अदायगी न करने पर वन विभाग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

गणेश पाण्डेय, भोपाल। बीस साल पुराने भुगतान विवाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय के सख्त रुख के चलते बालाघाट जिले के दक्षिण उत्पादन वनमंडल (डीएफओ) और मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) कार्यालय को शुक्रवार को सील कर दिया गया। सुबह जब कर्मचारी कार्यालय पहुंचे, तो गेट पर न्यायालय का नोटिस और ताले लटके देख हड़कंप मच गया। घटना ने न केवल वन विभाग को शर्मसार किया, बल्कि विभागीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

क्या है पूरा मामला?

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वर्ष 2005 में बालाघाट पश्चिम उत्पादन वनमंडल से कोलकाता की ‘कल्पतरू एग्रो फार्म’ नामक कंपनी ने बांस की बड़ी खेप की खरीदारी की थी। कंपनी ने पूरी राशि का भुगतान भी कर दिया था, लेकिन वर्ष 2013 में कार्यालय के बंद हो जाने के कारण वह बांस का उठाव नहीं कर सकी।

जब कंपनी ने भुगतान की गई राशि की वापसी की मांग की, तो वन विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस पर कंपनी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के बाद 20 जून 2025 को हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि वन विभाग ₹1.20 करोड़ की राशि वापस करे।

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न्यायिक आदेश की अवहेलना, और ताले की नौबत

अदालती आदेश के बावजूद विभाग द्वारा भुगतान न किए जाने पर अदालत ने सख्त रुख अपनाया और कार्यालय सील करने का आदेश जारी किया। शुक्रवार सुबह दक्षिण उत्पादन डीएफओ कार्यालय और सीसीएफ कार्यालय बालाघाट में कानूनी टीम ने ताले जड़ दिए और नोटिस चस्पा कर दिया।

विभाग में मचा हड़कंप, चर्चा का विषय बनी कार्रवाई

घटना के बाद पूरे वन विभाग में हड़कंप मच गया। कर्मचारी कार्यालय परिसर के बाहर जमा होकर स्थिति पर चर्चा करते रहे। सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मामले की अनदेखी और अदालती आदेशों के अनुपालन में लापरवाही की वजह से विभाग को यह शर्मनाक स्थिति झेलनी पड़ी है।

प्रशासनिक छवि पर पड़ा प्रभाव

इस कार्रवाई से वन विभाग की साख पर गंभीर असर पड़ा है। एक ओर जहां अदालत द्वारा दिया गया स्पष्ट आदेश कई सप्ताह तक नजरअंदाज किया गया, वहीं अब विभाग को न्यायिक अवमानना और प्रशासनिक विफलता की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।

अब आगे क्या?

विभागीय सूत्रों का कहना है कि राज्य स्तर पर उच्चाधिकारियों की बैठक बुलाकर स्थिति का समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, फिलहाल कार्यालयों के सील रहने के चलते विभागीय कामकाज पूरी तरह ठप हो गया है।