मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्डमप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड -फाइल फोटो

आईबीएन, भोपाल। मुख्यमंत्री मोहन यादव की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने अब मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) में कथित भ्रष्टाचार की जांच शुरू कर दी है। बोर्ड के कुछ अधिकारियों पर उद्योगपतियों से अवैध वसूली कर जुर्माने में छूट देने के आरोप लगे हैं, जिससे सरकार को भारी राजस्व हानि की आशंका है।

पर्यावरण कार्यकर्ता की शिकायत से खुला मामला

जानकारी के अनुसार, एक पर्यावरण एक्टिविस्ट ने ईओडब्ल्यू को शिकायत देकर बताया कि पीसीबी के कुछ अधिकारी उद्योगपतियों को पर्यावरणीय उल्लंघनों के मामलों में जुर्माना लगाने की धमकी देकर अवैध वसूली कर रहे हैं। आरोप है कि इन अधिकारियों ने वसूली के बाद या तो जुर्माना माफ कर दिया या फिर उसे नाममात्र की राशि में समायोजित कर दिया। इसका सीधा असर राज्य की राजस्व व्यवस्था पर पड़ा है।

शिकायत दर्ज, शुरुआती जांच में करोड़ों का घोटाला उजागर

ईओडब्ल्यू ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए शिकायत क्रमांक 213/25 के तहत जांच आरंभ की है। प्रारंभिक पड़ताल में यह सामने आया है कि इस कथित घोटाले से राज्य सरकार को 20 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। जांच एजेंसी ने बोर्ड के कई अधिकारियों को अपने रडार पर लिया है और संबंधित दस्तावेजों की जांच की जा रही है।

बोर्ड में मचा हड़कंप, अधिकारियों की बढ़ी बेचैनी

जांच की खबर फैलते ही पीसीबी में हड़कंप मच गया है। कई अधिकारी अपने बचाव की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। सूत्रों का कहना है कि पीसीबी के आंतरिक दस्तावेज, जुर्माने के रिकॉर्ड और वसूली के आधार पत्रों की बारीकी से जांच की जा रही है।

शासन की सख्ती, ईमानदार प्रशासन की दिशा में कदम

राज्य सरकार ने साफ किया है कि भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव पहले ही निर्देश दे चुके हैं कि सभी विभागों में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के लिए प्रशासनिक सुधार किए जाएं। पीसीबी प्रकरण को भी इसी नीति के तहत गंभीरता से लिया जा रहा है।

आगे क्या?

ईओडब्ल्यू की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, और भी नाम सामने आ सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि आवश्यक हुआ तो विभागीय स्तर पर निलंबन और आपराधिक कार्यवाही भी की जा सकती है।