10 वर्षों में सबसे विलंबित अफीम नीति से फसल उत्पादन पर असर, किसान परेशान
आईबीएन, भोपाल। पिछले 10 वर्षों में पहली बार 25 अक्टूबर के बाद भी नई अफीम नीति की घोषणा नहीं हो सकी है। पिछले वर्ष विधानसभा चुनावों के चलते 13 सितंबर को ही अफीम नीति जारी कर दी गई थी। जिले में 35,000 से अधिक अफीम उत्पादक किसान हैं, जिन्होंने फसल के लिए अपने खेत तैयार कर लिए हैं, परंतु वे नीति के इंतजार में हैं। इस बार किसानों को उम्मीद है कि निरस्त हुए पुराने पट्टों की बहाली हो सकती है, हालांकि किसान सीपीएस पद्धति से संतुष्ट नहीं हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बार औसत से कम निरस्त हुए पट्टे बहाल किए जा सकते हैं।
देरी का उत्पादन पर प्रभाव
अफीम नीति में देरी से बोवनी की प्रक्रिया भी देरी से शुरू होती है, जिससे फसल पर प्रतिकूल असर पड़ता है। गर्मियों में अफीम का उत्पादन कम होने के साथ-साथ रोगों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। इससे सीपीएस पद्धति के पट्टेधारियों को विशेष नुकसान उठाना पड़ता है, साथ ही कीटनाशकों पर खर्च बढ़ जाता है। किसानों के मुताबिक मावठे की स्थिति में नुकसान और अधिक हो जाता है।
10 वर्षों में अफीम नीति की घोषणाएं
पिछले एक दशक में अफीम नीति की घोषणा की तारीखें इस प्रकार रहीं:
- 2023: 13 सितंबर (सबसे पहले)
- 2022: 28 सितंबर
- 2020: 21 अक्टूबर
- 2019: 1 अक्टूबर
- 2018: 28 सितंबर
- 2017: 18 अक्टूबर
- 2016: 20 अक्टूबर
- 2015: 5 अक्टूबर
- 2014: 22 सितंबर
- 2013: (सबसे पहले घोषणा)