महाकुंभ के लिए तैयार योगी सरकार

चंद्रकेतु मिश्रा, आईबीएन, प्रयागराज। महाकुंभ-2025 में जब श्रद्धालु संगम में स्नान करने आएंगे, तो उन्हें केवल धार्मिक अनुष्ठान का ही अनुभव नहीं होगा, बल्कि भारत की समृद्ध संस्कृति और वैभव के दर्शन भी होंगे। उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद-प्रयागराज संग्रहालय के सहयोग से महाकुंभ में एक भव्य प्रदर्शनी का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इस प्रदर्शनी में श्रद्धालुओं को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बनने जा रहे विश्व के सबसे बड़े युगे-युगीन संग्रहालय का ट्रेलर भी देखने को मिलेगा।

इलाहाबाद-प्रयागराज संग्रहालय भारत के चार प्रमुख राष्ट्रीय संग्रहालयों में से एक है, जिसमें मूर्तिशिल्प, मृण्मूर्ति, लघुचित्र कला, आधुनिक चित्र कला, पुरातात्विक वस्तुएं, मुद्राएं, अस्त्र-शस्त्र, वस्त्र, पाण्डुलिपियाँ और फरमान जैसी विविध वस्तुओं का संग्रह है। संग्रहालय के डिप्टी क्यूरेटर डॉ. राजेश मिश्रा के अनुसार, महाकुंभ में डिजिटल प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिसमें विभिन्न ऐतिहासिक वस्तुओं का प्रदर्शन किया जाएगा।

प्रदर्शनी में दर्शाए जाने वाले संग्रह

डॉ. मिश्रा ने बताया कि संग्रहालय में प्रदर्शित होने वाली मूर्तियों के रेप्लिका भी महाकुंभ में प्रदर्शित किए जाएंगे। पिछले महाकुंभ 2019 में मोहिनी की मूर्ति ने श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया था, जिसे संग्रहालय ने सेल्फी प्वाइंट बना दिया था। महाकुंभ-2025 में इलाहाबाद-प्रयागराज संग्रहालय युद्धस्तर पर तैयारियों में जुटा हुआ है। संग्रहालय और मेला प्राधिकरण के बीच स्थान को लेकर बैठकों का दौर चल रहा है। योगी सरकार का प्रयास है कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को भारत की कला, संस्कृति और वैभव का अद्वितीय अनुभव मिल सके।

भारद्वाज आश्रम का महत्व और पुनर्निर्माण

भारद्वाज आश्रम प्रयागराज

महाकुंभ से पहले योगी सरकार ने धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दी है, जिसमें प्रमुखता से भारद्वाज मुनि के आश्रम का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए 13 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है, और यहाँ 85 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। भारद्वाज आश्रम महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं का प्रमुख आकर्षण बन रहा है।

भारद्वाज मुनि का आश्रम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इतिहास में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भारद्वाज मुनि ने यहीं पर विमान उड़ाने की टेक्नोलॉजी की खोज की थी। उन्होंने 500 विभिन्न प्रकार के विमान उड़ाने के तरीके ईजाद किए थे। यह आश्रम भारतीय संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करेगा।

श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएँ और अनुभव

महाकुंभ 2025 के दौरान, भारद्वाज मुनि का आश्रम श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा। यहां दीवारों पर भित्ति चित्र बनाए जा रहे हैं, जो भारद्वाज ऋषि की कहानियों, भगवान राम के वन गमन के चित्र, और वन्य जीवों के चित्र प्रदर्शित करेंगे। आश्रम में श्रद्धालुओं के बैठने के लिए बेंच, डस्टबिन, मार्ग प्रकाश के लैंप, मुख्य द्वार का निर्माण और पार्किंग स्थल जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जाएंगी।

यहाँ के कॉरिडोर के निर्माण के बाद, श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होने की उम्मीद है। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने कहा है कि भारद्वाज आश्रम की देश और दुनिया में बहुत मान्यता है, विशेषकर दक्षिण भारत से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए। आश्रम का महत्व इस बात से भी है कि मान्यता है कि प्रभु श्री राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ यहाँ रुके थे, और यहीं से ऋषि ने उन्हें चित्रकूट जाने की सलाह दी थी।

महाकुंभ का ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

Nanak Nivas

महाकुंभ एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जहाँ देश भर से लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए आते हैं। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान का ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव का भी प्रतीक है। योगी सरकार की योजनाएँ इस महाकुंभ को एक नए स्तर पर ले जाने का प्रयास कर रही हैं।

संगम नगरी प्रयागराज को तीर्थराज कहा गया है, और यहाँ की पौराणिक मान्यता इसे विशेष बनाती है। महाकुंभ 2025 में इलाहाबाद-प्रयागराज संग्रहालय की प्रदर्शनी, भारद्वाज आश्रम का पुनर्निर्माण, और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन इस महाकुंभ को विशेष बना देगा। सरकार का यह प्रयास है कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को भारत की कला, संस्कृति और वैभव का अद्वितीय अनुभव हो।