तुलसी विवाह

आईबीएन, डिजिटल डेस्क। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है, जिसे देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु अपने योगनिद्रा से जागते हैं, और तुलसी विवाह का आयोजन होता है। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह तुलसी के संग संपन्न किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी-शालिग्राम का विवाह कराने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं, और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस वर्ष देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को मनाई जा रही है। एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 6:46 बजे शुरू होकर 12 नवंबर को शाम 4:04 बजे समाप्त होगी। उदयव्यापिनी एकादशी 12 नवंबर को होने से इसी दिन तुलसी विवाह का शुभ आयोजन किया जाएगा। तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5:29 बजे से लेकर 7:53 बजे तक रहेगा।

तुलसी विवाह का महत्व

तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। चार महीने की योगनिद्रा के बाद जब भगवान विष्णु जागते हैं, तो इस अवसर पर सभी देवी-देवता मिलकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इस दिन से चार महीने से रुके हुए सभी शुभ कार्य पुनः शुरू होते हैं। शास्त्रों में तुलसी-शालिग्राम का विवाह करने से कन्यादान के बराबर का पुण्य लाभ प्राप्त होता है। विशेषतः उन व्यक्तियों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है, जिनके विवाह में विभिन्न बाधाएं उत्पन्न होती हैं। तुलसी विवाह करने से वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं समाप्त होती हैं और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।

पूजा विधि

देवउठनी एकादशी पर शालिग्राम रूप में भगवान विष्णु और तुलसी का विवाह रीति-रिवाज के साथ संपन्न किया जाता है। इस दिन एक सुन्दर मंडप सजाकर तुलसी वृक्ष और शालिग्राम के फेरे कराए जाते हैं। तुलसी विवाह में मंगल गीत, भजन और विष्णुसहस्रनाम का पाठ किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि योगनिद्रा से जागने के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले तुलसी की पुकार सुनते हैं, इसलिए इस दिन तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व होता है।

तुलसी मंत्र

  1. “देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः। नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये॥”
  2. “ॐ सुभद्राय नमः, मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी, नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते॥”
  3. “महाप्रसादजननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते॥”
  4. “ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्॥”

तुलसी विवाह का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। देवउठनी एकादशी के इस पर्व पर श्रद्धालु भगवान विष्णु और तुलसी माता से मंगलमय आशीर्वाद की कामना करते हैं।