आईबीएन, नई दिल्ली। भारत सरकार ने देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में बढ़ावा देने के लिए एक ई-वाहन नीति को मंजूरी दी है। इस नीति के तहत, इच्छुक कंपनियों को भारत में मैन्युफेक्चरिंग प्लांट (विनिर्माण सुविधा) स्थापित करनी होगी। जिसके लिए न्यूनतम निवेश 4150 करोड़ रुपये होगा, वहीं अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार, 15 मार्च को एक अधिसूचना जारी कर भारत में आयातित इलेक्ट्रिक कारों पर टैक्स बेनिफिट्स उठाने के लिए दिशानिर्देशों और पात्रता को स्पष्ट किया।
मंत्रालय के अनुसार, “यह नीति भारतीय उपभोक्ताओं को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी तक पहुंच प्रदान करेगी, ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देगी, ईवी निर्माताओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर ईवी इकोसिस्टम को मजबूत करेगी। जिसकी वजह से उच्च उत्पादन मात्रा, पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं, उत्पादन लागत में कमी, कच्चे तेल के आयात में कमी, व्यापार घाटे में कमी, खासकर शहरों में वायु प्रदूषण में कमी होगी और स्वास्थ्य और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।”
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा यह घोषणा करने के कुछ ही दिनों बाद यह कदम उठाया गया है कि भारत विदेशी कार निर्माताओं को लाभ पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क नीति में कोई बदलाव नहीं करेगा। पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में गोयल ने कहा था, “सरकार किसी एक विशेष कंपनी या उसके हितों के लिए नीति नहीं बनाती है। हर किसी को अपनी मांगें रखने का अधिकार है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार आपकी मांग के आधार पर ही फैसला लेगी।”
ईवी नीति की अहम बातें:
कोई भी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता जो भारत में कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करने और स्थानीय रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण शुरू करने के लिए तीन साल की समय सीमा का पालन करने का वादा करता है, उसे ईवी पर आयात कर में कटौती मिलेगी। हालांकि, यह नीति ईवी निर्माताओं को एक वर्ष में अधिकतम 8,000 इलेक्ट्रिक कारों को भारत लाने की अनुमति देती है। पात्रता मानदंड के तहत, ईवी निर्माता को कार बनाने के लिए स्थानीय बाजारों से 35 प्रतिशत कंपोनेंट्स का इस्तेमाल करना चाहिए। यह भी कहा गया है कि इन निर्माताओं को पांच वर्षों के भीतर घरेलू मूल्य वर्धन (डीवीए) का 50 प्रतिशत तक पहुंचना होगा।
टैक्स बेनिफिट्स के महत्वपूर्ण बिंदु:
इन कार निर्माताओं द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया जाएगा। बशर्ते उनकी कीमत 35,000 डॉलर (लगभग 29 लाख रुपये) से ज्यादा न हो।
इस समय, केंद्र सरकार भारत में लाई जाने वाली इलेक्ट्रिक कारों पर 70 से 100 प्रतिशत तक का इंपोर्ट टैक्स (आयात कर) लगाती है।