शिंदे सरकार ने गायों को दिया राजमाता का दर्जा

गायों की गिरती संख्या पर चिंता, कुनबी-मराठा प्रमाण-पत्र के लिए शिंदे पैनल की रिपोर्ट भी स्वीकृत

आईबीएन, डिजिटल डेस्क। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में सोमवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित हुई, जिसमें सरकार ने भारतीय संस्कृति, कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्वदेशी गायों के महत्व को ध्यान में रखते हुए इन्हें औपचारिक रूप से ‘राजमाता-गौमाता’ का दर्जा दिया। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन द्वारा हस्ताक्षरित एक सरकारी आदेश में इस घोषणा को शामिल किया गया, जिसमें गायों के ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व पर जोर दिया गया है। सरकार का मानना है कि यह निर्णय किसानों को स्वदेशी नस्ल की गायों को पालने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

गाय पर कैबिनेट का ऐतिहासिक महत्व

महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने स्पष्ट किया कि गाय वैदिक काल से भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसका महत्व केवल धार्मिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि चिकित्सा और कृषि में भी है। गाय का दूध अपने उच्च पोषण मूल्य के कारण मानव आहार का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके अलावा, राज्य के कई हिस्सों में स्वदेशी नस्ल की गायें पाई जाती हैं, जैसे मराठवाड़ा में देवरी और ललकानारी तथा उत्तरी महाराष्ट्र में डांगी और शवदाभ। हालांकि, देशी गायों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है, जो सरकार और कृषि विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय है।

कुनबी-मराठा प्रमाण-पत्र के लिए शिंदे समिति की रिपोर्ट स्वीकृत

बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय कुनबी और मराठा समुदायों को लेकर लिया गया। न्यायमूर्ति संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) समिति की दूसरी और तीसरी रिपोर्ट को मंजूरी दी गई। यह रिपोर्ट ऐतिहासिक अभिलेखों के आधार पर कुनबी-मराठा और मराठा-कुनबी प्रमाण-पत्र जारी करने के प्रोटोकॉल को अंतिम रूप देने के लिए तैयार की गई थी। कुनबी समुदाय को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत वर्गीकृत किया गया है। मराठा समुदाय लंबे समय से ओबीसी श्रेणी में शामिल होने की मांग कर रहा था, और इस रिपोर्ट की स्वीकृति को मराठा समुदाय को शांत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

शिंदे कैबिनेट के अन्य महत्वपूर्ण फैसले

राज्य मंत्रिमंडल की इस बैठक में कुल 38 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इनमें कोतवालों के वेतन में 10% की बढ़ोतरी, ग्राम रोजगार सेवकों का मानदेय 8,000 रुपये प्रति माह करना, और ऑरेंज गेट से मरीन ड्राइव सबवे के निर्माण कार्य में तेजी लाने जैसे फैसले शामिल हैं। इन सबके साथ, मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह भी जानकारी दी कि ठाणे मेट्रो रेल परियोजना में तेजी लाई जाएगी, जिससे मुंबई और इसके आसपास के क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा।

आगामी चुनाव को लेकर लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

महाराष्ट्र सरकार द्वारा लिए गए ये निर्णय आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए लिए गए हैं। मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल किए जाने के विरोध को शांत करने के प्रयास के रूप में शिंदे समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है। यह कदम विशेष रूप से संवेदनशील है, क्योंकि राज्य में इस मुद्दे को लेकर पिछड़े समुदायों में विरोध की संभावना थी।

गाय को ‘राजमाता-गौमाता’ का दर्जा देने के फैसले को न केवल सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देने का एक कदम माना जा रहा है, बल्कि यह किसानों के लिए एक आर्थिक समर्थन योजना भी है। राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से देशी नस्ल की गायों की संख्या में वृद्धि होगी और किसान इन गायों को पालने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

कैबिनेट बैठक के मुख्य बिंदु

  1. स्वदेशी गाय को ‘राजमाता-गौमाता’ का दर्जा: महाराष्ट्र सरकार ने गायों के महत्व को मान्यता देते हुए इसे औपचारिक दर्जा दिया है।
  2. गाय का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व: गाय भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से महत्वपूर्ण मानी जाती है, और इसका उपयोग कृषि एवं चिकित्सा में भी होता है।
  3. कुनबी-मराठा प्रमाण-पत्र: न्यायमूर्ति शिंदे समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दी गई, जिससे कुनबी और मराठा समुदायों के प्रमाण-पत्र जारी करने का प्रोटोकॉल तैयार होगा।
  4. सरकारी निर्णय: मंत्रिमंडल ने कोतवालों के वेतन में 10% बढ़ोतरी, ग्राम रोजगार सेवकों का मानदेय 8,000 रुपये प्रति माह करने, और ठाणे मेट्रो रेल परियोजना में तेजी लाने जैसे 38 प्रस्तावों को मंजूरी दी।
  5. राजनीतिक दृष्टिकोण: ये निर्णय आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए और मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने के विरोध को शांत करने के लिए लिए गए हैं।