लखीसराय। पहली बार जेल गए दोषियों को न्यायालय राहत देने का मौका दे रही है। इसके अनुसार 7 साल या इससे कम की सजा भुगतने वाले कैदियों को राहत मिल सकती है या न्यायलय उन्हें जुर्माना या डांट फटकार लगाकर सजा से मुक्त भी कर सकता है।
इस प्रक्रिया में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 265 ए में प्ली बारगेनिंग की व्याख्या है। इसके तहत सात साल या इससे कम की सजा पाने वाले बंदी दोनों पक्षों की सहमति से कम से कम सजा पाकर अपने वाद का निपटारा करवा सकते हैं। जैसे आप किसी दुकान से सामान खरीते वक्त मोल भाव करते हैं, वैसा ही प्ली बारगेनिंग है। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि इसका लाभ लेने के लिए दोनो पक्षों की सहमति आवश्यक है। सहमति में दबाव का प्रभाव नहीं होना चाहिए।
इसके लिए व्यवहार न्यायलय द्वारा विभिन्न शिविरों के माध्यम से लोगों के साथ-साथ अधिवक्ताओं को भी जागरूक किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि आम लोग भी अब कानूनी प्रक्रिया से अवगत हों और जागरूक होकर इसका लाभ ले सकें। इस शिविर से जिला जज सहित अन्य न्यायिक पदाधिकारी गांव, कस्बा, स्कूल आदि जगहों पर सभा आयोजित कर लोगों को उनके अधिकार और जरूरी कानूनी प्रक्रिया की जानकारी दे रहें हैं।
लखीसराय के जिला एवं सत्र न्यायाधीश डीके जयसवाल बताते हैं कि प्ली बारगेनिंग के तहत दोनों पक्ष आपस में समझौता कर विवाद को खत्म कर सकते हैं। इसके तहत दोनों पक्ष अपनी-अपनी बातों को रख कर क्षतिपूर्ति का लाभ लेते हुए कम से कम सजा पाकर दोष मुक्त हो सकते हैं। इसके तहत माफी पाने वाले बंदियों के भविष्य पर भी किसी तरह का बुरा प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।

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