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छोटे बच्चों में शरीर और प्राइवेसी से जुड़ी बातों की समझ नहीं होती, जिनकी वजह से वे परेशानी में पड़ सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप उनकी उम्र और समझ के अनुसार इनसे जुड़ी बातों की समझ विकसित करें और उन्हें बुनियादी जानकारी दें। उसे बताएं कि उसके शरीर के कुछ अंगों को केवल आप या डॉक्टर ही छू सकते हैं, वह भी केवल तभी जब उसे इसकी जरूरत महसूस हो। या अगर कोई उसके शरीर के इन अंगों को छूने की कोशिश करे या वह किसी स्थिति में असहज महसूस करे तो उसे आपको तुरंत बताना चाहिए। अगर आपका बच्चा स्कूल बस या वैन से आता-जाता है तो उससे संबंधित सावधानियों के बारे में भी बताना जरूरी है।

सही और गलत के बारे में समझाएं
स्कूल जाने की उम्र में कुछ घंटों के लिए ही सही, बच्चा बाहर की दुनिया के बीच आपसे अलग रहता है। यह जितना आपके लिए चिंताजनक होता है, उतना ही आपके बच्चे के लिए भी नया और उलझन भरा अनुभव होता है। इस समय बेहद जरूरी है कि आप बच्चे और अपने बीच प्यार और पूरा विश्वास कायम करते हुए उसे सही और गलत चीजों के बारे में समझाएं। यह भी कहें कि वह किसी भी असुविधाजनक स्थिति में खुलकर आपको सब कुछ बताए। उसे प्रोत्साहित करें कि वह कोई भी बात आपसे बेझिझक कह सके। इससे वह आपसे बात करने में अधिक सहज होगा और आप भी उसकी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहेंगे।

नजरंदाज न करें
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार एक जिम्मेदार मां-बाप के तौर पर बच्चे के किसी भी प्रकार के सवालों को नजरंदाज करने या टालने की कोशिश हरगिज न करें। छोटा बच्चा अपने हर सवाल के लिए सबसे पहले आप पर ही भरोसा करता है, लेकिन अगर आप उसकी बातों को अनसुना कर देंगी या उसकी दुविधा को दूर नहीं करेंगी, तो इनके जवाब वह अपने हमउम्र बच्चों से तलाशने की कोशिश करेगा जो खुद भी इनके लिए तैयार नहीं हैं। या हो सकता है कि वह इसके लिए किसी अनजान पर भरोसा करे जो उसकी सुरक्षा की दृष्टि से सही नहीं है। उसके प्रश्नों के साथ ही उसके मन में चल रहे विचारों को जानना भी बेहद जरूरी है, ताकि आप उसे गलत नजरिए को अपनाने और गलत सोच के साथ बड़ा होने से बचा सकें।