हिंदी दिवस न केवल एक उत्सव का दिन है, बल्कि यह हमें अपनी भाषा के प्रति जिम्मेदारी निभाने और उसे सशक्त करने का अवसर प्रदान करता है। हिंदी हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा है और इसका संरक्षण और संवर्धन हमारा कर्तव्य है। हमें हिंदी को केवल एक भाषा के रूप में नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखना चाहिए, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती है।
@ दीपेश मिश्रा
आज 14 सितंबर को हर साल के जैसे हमारे देश भारत में हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। आज का यह दिन न केवल हिंदी भाषा के महत्व को उजागर करता है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक धरोहर और भाषाई विविधता की सराहना करने का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन, 1949 में, संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में मान्यता दी थी। इसे हिंदी भाषा की संवैधानिक स्वीकृति के रूप में मनाया जाता है, और इसके साथ ही यह हमारी सामूहिक पहचान का हिस्सा भी है।
हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना और समृद्ध है। इसका उद्भव संस्कृत से हुआ और यह सदियों से विभिन्न शैलियों और बोलियों के रूप में विकसित हुई। 19वीं शताब्दी में, हिंदी एक साहित्यिक और सांस्कृतिक आंदोलन का केंद्र बनी और इसका विकास तेजी से हुआ। मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन और दिनकर जैसे लेखक और कवियों ने हिंदी साहित्य को वैश्विक पहचान दिलाई।
हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। लगभग 44% भारतीय नागरिक हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं, और यह भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। हिंदी न केवल हमारे दैनिक जीवन में संवाद का माध्यम है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा, हिंदी भारत के बाहर भी अपने पांव पसार चुकी है। दुनियाभर में भारतीय प्रवासी समुदायों के माध्यम से हिंदी का प्रसार हो रहा है। कई देशों में हिंदी साहित्य और सिनेमा की बढ़ती लोकप्रियता से यह साबित होता है कि हिंदी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा बन रही है।
हिंदी दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि हमें अपनी भाषा के प्रति गर्व और सम्मान होना चाहिए। यह दिन हमें इस बात का भी एहसास कराता है कि भाषा के माध्यम से हम अपनी संस्कृति, इतिहास और पहचान को संजो सकते हैं। हर साल इस अवसर पर सरकारी और निजी संस्थानों में हिंदी की महत्ता पर विचार-विमर्श और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इससे हिंदी के विकास और प्रसार को और प्रोत्साहन मिलता है। हालांकि हिंदी का प्रसार हो रहा है, फिर भी इसे लेकर कुछ चुनौतियाँ हैं। अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव और तकनीकी क्षेत्र में हिंदी के सीमित उपयोग से हिंदी भाषियों को अपने दैनिक जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में, हमें हिंदी को और अधिक तकनीकी सक्षमता प्रदान करने के प्रयास करने होंगे, ताकि यह डिजिटल युग में भी अपनी पहचान बनाए रख सके।
इस हिंदी दिवस पर, हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम हिंदी को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में और अधिक सशक्त बनाएँगे और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसकी विरासत को सुरक्षित रखेंगे।
इंडियन ब्रेकिंग न्यूज़ डॉट कॉम की ओर से आप सभी पाठकों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ…