आईबीएन, भोपाल। जीएसटी कर कानून के तहत पुराने विवादित कर निर्धारत प्रकरणों में राहत के लिए एमिनेस्टी स्कीम घोषित की गई है। 2 नवंबर का जारी इस स्कीम की अधिसूचना जारी होने के बाद राहत से ज्यादा असंतोष के स्वर उठ रहे हैं।
दरअसल एमेनिस्टी स्कीम में विवादित टैक्स डिमांड के खिलाफ अपील की सुविधा दो दी गई है लेकिन सिर्फ दो ही धाराओं के तहत जारी डिमांड नोटिस के खिलाफ अपील हो सकेगी। जबकि जीएसटी में तमाम प्रविधान और धाराएं है जिसमें टैक्स, पेनाल्टी की मांग निकाली जाती है और अपील की सुविधा मिलना चाहिये। मामले में कमर्शियल टैक्स प्रेक्टिशनर्स एसोसिएशन और टैक्स ला बार एसोसिएशन ने आपत्ति ली है। विभाग को सुझाव ज्ञापन सौंपकर स्कीम में सुधार की मांग भी रख दी गई है।
एमिनेस्टी स्कीम की अधिसूचना के अनुसार ऐसे कर निर्धारण आदेश जो 31 मार्च 2023 तक या इससे पहले, केवल धारा 73 एवं 74 के तहत पारित किए गए हो तो ऐसे आदेशों के विरुद्ध एमिनेस्टी स्कीम का लाभ लेते हुए अपील प्रस्तुत की जा सकेगी। नेशनल एसोसिएशन आफ टैक्स प्रोफ़ेशनल्स के डिप्टी चेयरमैन अमित दवे, एमपीटीएलबीए के अध्यक्ष एके लखोटिया एवं सीटीपीए के अध्यक्ष देवेंद्र जैन ने कहा कि यदि कानून में वर्णित प्रविधान व नियम तथा कारण विशेष से कोई भी लाभकारी योजना सरकार द्वारा लायी जाती है तो, ऐसी स्कीम हमेशा पारदर्शी,नीतिगत,सम-सामयिक तथा न्याय सिद्धान्तों के अनुरूप होना चाहिए। जीएसटी एमिनेस्टी स्कीम कहीं न कहीं अपूर्ण, अव्यवहारिक एवं न्याय संगत ना होकर समानता के अधिकार व कानून में वर्णित समदर्शी प्रावधानों के साथ न्याय नहीं करती। कर पेशेवरों के संगठनों की ओर से राज्य कर आयुक्त लोकेश कुमार जाटव को लिखित पत्र सौंप कर स्कीम में संशोधन कर इसमें अन्य धाराओं को शामिल कर इसका लाभ हर करदाता को लाभ देने की मांग की गई है।
संगठनों की ओर से मांग रखी गई कि यदि किसी करदाता का धारा 54 के तहत रिफंड संबंधित आवेदन किन्ही कारणों से निरस्त हुआ है, तो उसे भी ऐसे निरस्त आदेश के विरुद्ध अपील करने का अधिकार है। जबकि एमिनेस्टी स्कीम में इसे शामिल नहीं किया गया है। अभी केवल उन्हीं आदेशों जो कि, धारा 73 एवं 74 के अधीन 31 मार्च 2020 के पूर्व पारित किए गये है के लिए ही अपील दायर करने की सुविधा दी गई है। योजना का प्रकाशन 2 नवंबर को किया गया है। ऐसे में 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक पारित आदेश भी इसमें शामिल किए जाना चाहिये। दरअसल जीएससी में धारा 50, 122,125,129,130 के तहत ब्याज, शास्ति या फाइन आरोपित करने का प्रविधान है। इन धाराओं में ऐसे आदेश यदि जो 31 मार्च के पहले ही पारित हो चुके हैं। इन्हें भी इस स्कीम का कोई लाभ नहीं मिल सकेगा। यह न्यायसंगत नहीं है, ऐसे आदेशो को भी स्कीम में शामिल किया जाना चाहिये।इसके साथ ही जीएसटी अधिकारियों ने कई मामलों में करदाता से फ़ॉर्म-डीआरसी-03 के माध्यम से ब्याज की राशि का भुगतान करवा लिया है। ऐसे मामलों को भी स्कीम का लाभ दिया जाना चाहिये। कर सलाहकारों ने यह भी मांग की है कि जीएसटी में ऐसे भी अनेक प्रकरण है, जिनके द्वारा रिटर्न डिफॉल्टर या किसी अन्य कारणों से किसी करदाता का ना केवल पंजीयन निरस्त किया गया है, अपितु टैक्स,ब्याज व पेनाल्टी आदि भी अधिरोपित की गई है, अत: ऐसे समस्त प्रकरणों में भी अपील करना जरुरी है। जिसका लाभ जारी एमिनेस्टी स्कीम में प्रदान नही किया जाना अव्यवहारिक है।

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