ईडी

आईबीएन, डेस्क, नई दिल्ली। बीते 10 वर्षों में भाजपा शासनकाल के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सक्रियता में जबरदस्त उछाल आया है। आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते 10 वर्षों में धन शोधन रोधी कानून (पीएमएलए) के तहत ईडी की छापेमारी 86 गुना बढ़ गई है। ईडी ने इस दौरान 25 गुना ज्यादा संपत्ति जब्त की है। ये आंकड़े 2014 से पहले की यूपीए सरकार की तुलना में हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2014 से मार्च 2024 के बीच के आंकड़ों की जुलाई 2005 से लेकर मार्च 2014 तक के आंकड़ों से तुलना करने पर पता चलता है कि ईडी की सक्रियता में बीते 10 वर्षों में काफी तेजी आई है। पीएमएलए कानून को साल 2002 में बनाया गया था और 1 जुलाई 2005 को इसे लागू कर दिया गया था। यह कानून टैक्स की चोरी रोकने, काले धन और धन शोधन पर रोकथाम के लिए बनाया गया था। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार, विरोधियों के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि केंद्र सरकार का दावा है कि सत्ताधारी दल का एजेंसी पर कोई दबाव नहीं है और यह स्वतंत्र रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करती है।

आंकड़े कह रहे कहानी
आंकड़ों के अनुसार, ईडी ने बीते 10 वर्षों में पीएमएलए कानून के तहत 5,155 मामले दर्ज किए हैं, जो कि यूपीए सरकार में किए गए 1,797 मामलों की तुलना में तीन गुना ज्यादा है। ईडी की जांच में अभी तक पीएमएलए कानून के तहत 63 लोगों के खिलाफ दोषसिद्धि हुई है। ईडी द्वारा पहली बार 2014 में ही एक मामले में दोषसिद्धि हुई थी। भाजपा सरकार में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 7,264 छापेमारी की, जबकि 2014 से पहले ईडी ने सिर्फ 84 छापेमारी की थी। इस तरह भाजपा सरकार में ईडी ने 86 गुना ज्यादा छापेमारी की हैं।

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